Sunday 18 March 2012

शटअप, यू डॉंट नो, आई एम....

दफ्तर से देर रात को घर आने या देर रात को दफ्तर जाने वालों के लिए हर सड़क व गली में एक मुसीबत खड़ी रहती है। दिन के समय तो ऐसी मुसीबत कहीं गायब रहकर नींद फरमा रही होती है, लेकिन रात को तो मस्ती के ही मूड में आ जाती है। दूर से नजर आया कोई व्यक्ति या वाहन। मुसीबत पहले से ही तैयार रहती है। कई बार अकेले या फिर झुंड के रूप में कुत्ते आने-जाने वालों को डराने को तैयार रहते हैं। यदि एक बार कोई किसी कुत्ते या उनके झुंड़ से डर गए, तो यह कुत्तों के लिए हर रात का खेल हो जाता है। यदि किसी कुत्ते को आपने धमका दिया, तो अक्सर वहां दोबारा कुत्ते आपको नहीं डराएंगे। भले ही अन्य लोगों का उनके कोपभाजन बनने का सिलसिला चलता रहेगा। देर रात के समय आफिस से घर जाने के दौरान मैं भी उन स्थानों पर सतर्क रहता हूं, जहां अक्सर कुत्ते राहगीरों को डराने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे स्थानों पर मैं हमले से पहले ही मोटरसाइकिल धीमी कर कुत्तों पर ही हमला करने का नाटक करता हूं। ऐसे में वे दूर भाग जाते हैं।
ऐसी ही एक घटना मुझे याद है। देहरादून में एक मित्र के घर दावत में कई पत्रकार साथी आमंत्रित थे। अमूमन पत्रकार साथियों में कई की अपना परिचय देने में नाम के साथ समाचार पत्र का नाम बोलने की आदत होती है। जानकारी के लिए किसी विभाग में फोन मिलाने के बाद जब दूसरी तरफ से फोन उठता है, तो वह अपने नाम के साथ अखबार का नाम बोलकर परिचय देते हैं। जैसे-हेलो मैं (अपना नाम, फिर अखबार का नाम) से बोल रहा हूं। देहरादून के नेशविला रोड स्थित मित्र के घर पार्टी समाप्त होने में रात के 12 बज गए। उस मोहल्ले के कुत्ते भी किसी को पहचानते नहीं थे। रात के समय घर से बाहर निकलते दस-बारह व्यक्ति को देखकर तो कुत्तों की मौज बन आई। उन्होंने चारों तरफ से सभी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। एक-एक कर सभी घर जाने व कुत्तों की नजर से बचने का रास्ता तलाश कर रहे थे। हमारे बीच एक मित्र की मोटर साइकिल के पास ही कई कुत्ते खड़े थे। उनकी मजबूरी ही कुत्तों के निकट जाकर मोटर साइकिल तक पहुंचने की थी। उन्होंने कुत्तों को पुचकारा, लेकिन वे नहीं माने। फिर डराने का प्रयास किया, कुत्ते और खतरनाक मूड में आ गए। इस पर मित्र जोर से झल्लाकर बोले- शटअप, यू डांट नो, आईएम-- (अपना नाम फिर अखबार का नाम)। मित्र का इतना बोलना था कि उनके निकट भौंक रहा कुत्ता अचनाक वहां से भाग निकला। उसे देख सभी कुत्ते नो दो ग्यारह हो गए और मैदान साफ। यह घटना आज भी देहरादून में पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय रहती है। उस मित्र की चर्चा के दौरान यह भी जुड़ जाता है- शटअप, यू डॉंट नो, आई एम....
                                                                                                           भानु बंगवाल


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