Friday 26 April 2013

Call girl ....

कॉल गर्ल....
विजय ने फेसबुक में नया-नया एकाउंट खोला। हर चेहरे को देखकर वह फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता। कहीं से मंजूर हो जाती और कहीं से नहीं। ऐसे में वह धीरे-धीरे अपने मित्रों की संख्या बढ़ा रहा था। दिन भर ड्यूटी करने के बाद जब थकहार कर वह घर आता तो करीब एक घंटा नेट खोलकर फेसबुक में उलझा देखता। यानी दोस्तों की फोटो, उस पर कमेंट करना या फिर कुछ पंक्तियां लिखने की उसकी आदत सी पड़ गई। उसके लिए फेसबुक मात्र टाइम पास का एक साधन था। घर में विजय की पत्नी भी थी और दो छोटे-छोटे बेटे भी। परिवार में सबकुछ ठीकठाक चल रहा था। चेट से विजय ज्यादा परहेज करता, क्योंकि चेट में कई बार ऐसे मैसेज आते कि जो उसे अटपटे लगते। विजय को धीरे-धीरे यह अहसास होने लगा कि फेसबुक में भी कई चेहरे ऐसे हैं जिनमें दूसरे चेहरा छिपा है। यानी लड़की के प्रोफाइल में लड़का मजाक करता है। ऐसे में वह मैसेज पर ज्यादा ध्यान नहीं देता।
कई दिन से उसे नैना नाम की एक लड़की का मैसेज चेट पर आता रहता था। इसमें हेलो, हाय, कैसे हो, कहां हो, आदि आदि लिखा होता और विजय ऐसे मैसेज का कोई जवाब नहीं देता। एक दिन विजय छुट्टी के दिन नेट पर कुछ ज्यादा ही बैठ गया। जब उसने फेसबुक एकाउंट खोला तो देखा कि नैना के अलग-अलग दिनों के कई मैसेज थे। इसमें ताजा मैसेज में लिखा था -कैसे हो। विजय ने पहली बार उसमें लिख मारा ठीक हूं। इस पर नैना ने कहा कि मैने आपका प्रोफाइल देखा है और मैं आपसे बात करना चाहती हूं। विजय ने कहा कि चेट पर ही बात करो। इस पर उधर से जवाब आया कि अपना मोबाइल नंबर दो। विजय ने संकुचाते हुए नंबर दे दिया। इसके बाद नैना नाम की उस लड़की ने विजय को अपना नंबर भेजा और कहा कि रात को फुर्सत में बात करेंगे। फिर उसी दिन रात को नैना का विजय को मैसेज आया कि फोन से बात करो। विजय के समझ नहीं आया कि अनजान लड़की से वह क्या बात करे। उसने टालने को कह दिया कि आपको यदि जरूरत है तो आप ही बात करो। इस पर लड़की ने कहा कि यदि आपके पास रिचार्ज के पैसे नहीं हैं तो मैं दे दूंगी। विजय इस बात पर ही अड़ा रहा कि पहले वही बात करे।
इसके बाद विजय नेट बंद कर घर के अन्य काम में जुट गया। शाम को अचानक एक अनजान नंबर के काल आई। यही थी वो काल गर्ल। विजय ने कहा कौन। जवाब मिला पहचाने नहीं। विजय ने कहा कि कैसे पहचानूंगा, जब पहले कभी बात नहीं की। जवाब मिला मैं नैना हूं। नैना का नाम सुनते ही विजय घबरा गया। उसे लगा कि कोई लड़की की आवाज में उससे मजाक कर रहा है। लड़की दबी आबाज से बोल रही थी। विजय ने फोन में ज्यादा बात नहीं की। फिर विजय ने अपना शक पुख्ता करने के लिए उस नंबर पर दूसरे फोन से काल की। वहां से वही आवाज सुनाई दी। इस पर विजय को लगा कि वह बाकई एक लड़की है। खैर वह उससे कुछ देर बतियाता रहा। उसके बारे में जानकारी लेने की कोशिश करता रहा।
इसके बाद तो दोनों नेट पर चेट के माध्यम से खूब बातें करने लगे। जब मन करता तो फोन पर भी बात करते। इस दौरान विजय को पता ही नहीं चला कि उसे उस लड़की का नशा होता जा रहा है। वह उसके जाल में फंसता जा रहा था। जिसे वह टाइम पास का साधन समझ रहा था, उसे अब वही अच्छी लगने लगी। फिर कभी विजय को शक होता कि हो ना हो यह लड़की नहीं लड़का है। वह चेट पर उससे यह संदेश भी देता कि उसे यह शक है। इस पर वहां से जवाब आता कि मै कैसे विश्वासन दिलाऊं। फिर एक दिन उसने कहा कि कभी फोटो दिखा दूंगी। तब विश्वास आ जाएगा। पर कभी फोटो नहीं दिखाई। 
इस अनजान युवती ने विजय को बताया कि वह एमए की छात्रा है। जो चित्रकार है। घर से पढ़ाई के लिए बाहर रह रही है। जब समय नहीं कटता और अकेलापन महसूस होता है, तो उसने विजय को दोस्त बनाकर एक सहारा तलाश लिया। विजय अपने इस शक को कि वह लड़का है, पुख्ता करने के लिए उसे हंसाने को लतीफे भी फोन से सुनाता। उसे अंदाजा था कि ज्यादा मजेदार लतीफे सुनने से उधर से सुनने वाला अपनी वास्तविक हंसी हंसेगा। उसने सुनाए भी, लेकिन हंसी की आवाज वहीं लड़की की ही निकली, जो उसे बनावटी ही लगती थी। वैसे तो वह यह भी जानता था  कि मोबाइल ही ऐसे आ रहे हैं, जिसमें आवाज तक बदल सकते हैं। फिर उसमें प्रेम का भूत चढ़ता और वह सोचता नहीं वह वास्तव में लडकी है। उसके साथ वह क्यूं ऐसा मजाक करेगी। प्यार, मोहब्बत की बात, छोटी बड़ी बातें दोनों एक दूसरे को बताने लगे। वैसे ज्यादा विजय ही बोलता, वह सुनती ही रहती।
विजय ने महसूस किया कि जब भी वह उक्त लड़की को फोन मिलता है, उसका फोन इंगेज ही रहता है। इससे उसे यह भी लगता कि वह उससे फ्राड कर रही है। उससे ही नहीं एक साथ शायद कई युवाओं को उसने अपने जाल में फंसा रखा है। वह कहती कि 24 घंटे वह उससे बात करने को तैयार है। जब भी बात करने का मन करे, कॉल कर लेना। अक्सर बातें रात को ही होती थी। फोन कटते ही उसका फोन व्यस्त हो जाता। एक सुबह विजय ने यह जानने को लड़की को फोन मिलाया कि वह उठ गई या नहीं, लेकिन पलटकर मर्दानी आबाज में गालियां मिली। विजय हक्काबक्का रह गया। फिर उसे विश्वास हो गया कि वहां से लड़की नहीं लड़का है, जो उसे बेवकूफ बना रहा है। जो सुबह नींद टूटने पर अपनी असलियत में आ गया। जब विजय ने ऐसी लड़की से तौबा कर ली। प्रेम का भूत उसके सिर से उतर गया। चेट पर जब युवती आई तो उसने उससे उसकी असलियत जानने का प्रयास किया। हालांकि युवती ने विजय को विश्वास दिलाती रही कि उसका मोबाइल बंद था, लेकिन जब विजय ने उसे लड़की होने का विश्वास दिलाने को कहा तो युवती ने विजय को अपनी फ्रेंडलिस्ट से हटा दिया। इसके साथ ही विजय का विश्वास पक्का हो गया कि वह काल गर्ल नहीं बल्कि कोई युवक ही था। आजकल फेसबुक में ऐसे मामले ज्यादा देखने व सुनने को मिल रहे हैं। विजय तो बच गया, लेकिन न जाने कितने युवा ऐसे फेर में पड़कर अपना वक्त व मानसिक संतुलन को खराब कर रहे हैं।
भानु बंगवाल

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