Sunday 7 April 2013

Dance - Dance - Dance

डांस-डांस-डांस
सचमुच डांस भी एक कसरत से कम नहीं है। धुमधड़ांग वाले किसी म्यूजिक की ताल में उस व्यक्ति के कदम स्वयं ही थिरकने लगते हैं, जो डांस की ए, बी, सी, डी को थोड़ा बहुत जानता है। यदि नहीं भी जानता तब भी उसका मन जरूर थिरकने लगता है। पहले कभी किसी जमाने में तो नाचने का मौका शादी के अवसर पर ही मिलता था। पहले से ही लोग तय करके रखते थे कि फलां की शादी है और उसमें खूब डांस करेंगे। शादी से पहले कई दिनों तक महिला संगीत चलता था। उसमें महिलाएं आपस में गीत गाने के साथ ही नृत्य करती थी। अब तो हर कहीं डांस ही डांस नजर आता है। इन दिनों युवाओं में आइपीएल का बुखार चढ़ा हुआ है। कंप्यूटर व नेट में देर तक बैठने वाले युवा टेलीविजन के आगे चिपक रहे हैं। टेलीविजन में आइपीएल के दौरान चौके व छक्के जैसे लगते हैं तो डांस बालाएं थिरकने लगती हैं। किसी समारोह व कार्यक्रम का आयोजन हो तो शुरूआत डांस से ही होती है। नेताजी के जुलूस में डांस, धार्मिक कार्यक्रम में डांस, यानी हर एक मौके पर डांस ही डांस होने लगा है। सचमुच कुछ देर के लिए तो यह डांस हरएक को उन्मादित कर देता है।
वैसे देखा जाए तो होली व बरात के मौके पर वे भी डांस करने से नहीं चूकते, जिन्हें नाचना नहीं आता। बरात में गाने भी लगभग कुछ वही होते हैं, जो पिछले बीस या तीस साल से लोग सुनते आ रहे हैं। बैंड पर बजने वाले इन गानों में- आज मेरे यार की शादी है, झूम बराबर झूम शराबी आदि ऐसे गाने हैं, जो करीब हर शादी में गाए और बजाए जाते हैं। इसके साथ ही एक नागिन फिल्म के गाने की धुन-मेरा मन डोले, मेरा तन डोले, पर तो नृत्य करने वालों की जोड़ी ही बन जाती है। ऐसी जोड़ी में एक मुंह में रुमाल फंसाकर उसे बीन का रूप देकर थिरकता है, वहीं दूसरा साथी दोनों हाथ को मिलाकर फन तैयार करता है और नागिन का रूप धरकर नाचता है। ऐसी ही एक बरात का मुझे एक किस्सा याद है। देहरादून के हरिद्वार रोड में जोगीवाला स्थित एक वैडिंग प्वाइंट में मुझे किसी शादी में शामिल होने जाना था। रात का समय था। एक जगह सड़क पर ट्रेफिक जाम सा हो रखा था। मैं मोटरसाइकिल से उतरकर स्थिति जानने को आगे बढ़ा तो देखा कि सड़क पर दो व्यक्ति लेटे हुए हैं। दूर से देखने पर प्रतीत हुआ कि किसी वाहन की चपेट में आकर दोनों या तो घायल हैं, या फिर मर गए। उनके आसपास भीड़ जमा थी। एक व्यक्ति पीठ के बल जमीन पर गिरा पड़ा था। दूसरा उसके ऊपर गिरा हुआ था। अचानक दोनों में हरकत होने लगी। लोगों ने देखा कि ऊपर वाला कुछ झूमता व थिरकता हुआ उठने लगा। तभी नीचे वाला भी धीरे-धीरे झूमता हुआ उठने लगा। ऊपर वाला जब ज्यादा सीधा हुआ तो उसके हाथ में एक रुमाल था, जिसका एक सिरा दांत में फंसा हुआ था। वहीं नीचे वाला नागिन की तरह हाथ लहरा रहा था। पता चला कि दोनों एक बरात में डांस कर रहे थे। शराब के नशे में एक संपेरा बनकर नाच रहा था। दूसरा नागिन बनकर। डांस में वे इतने मगन हुए कि बरात कब आगे निकल गई उन्हें पता ही नहीं चला। वे सड़क में लेटकर डांस करते रहे और बरात लड़की वालों के घर तक पहुंच गई। उन्हें दुर्घटना में घायल जानकर दोनों तरफ से वाहन खड़े हो गए। फिर कुछ लोगों ने उन्हें टोका तब उन्हें इसका आभास हुआ कि बरात निकल गई। इस पर वे डांस करना छोड़ दौड़ लगाकर आगे चल दिए।
भानु बंगवाल

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