Friday 2 November 2012

भविष्य का पाखंड और हकीकत का सामना

वैसे तो मैं भूतकाल से सबक लेकर वर्तमान को ही बेहतर बनाने का प्रयास करता हूं। भविष्य को लेकर चिंतित होना मुझे फिजूल की बात लगती है। फिर भी कई बार व्यक्ति भविष्य को लेकर शंकित रहते हैं। मेरा मानना है कि यदि वर्तमान में कड़ी मेहनत की जाए, तो भविष्य भी ठीक ही रहता है। यदि अच्छे भविष्य के लिए हम हाथ  पर हाथ धरे बैठ जाएं, तो उसका कोई फायदा नहीं है। भविष्य किसी ने नहीं देखा। यह अच्छा व बुरा कुछ भी हो सकता है। इसलिए बर्तमान में ही बेहतर जीवन जीने का हर संभव प्रयास होना चाहिए। यदि हम किसी फल को पाने की इच्छा रखते हैं तो उस फल तक पहुंचने का प्रयास करना होगा। फल हमारे पास स्वयं चला नहीं आएगा। उसके लिए हमें कर्म करना होगा। यही कर्म ही हमें अपने जीवन में सफल व असफल बनाते हैं। कई बार संयोग से ठीकठाक मेहनत करने के बाद भी परिणाम अपेक्षित नहीं आता। ऐसे स्थिति में हम दोबारा प्रयास करने की बजाय अंधविश्वास की तरफ भागते हैं। जो कि गलत रास्ता है और न ही उससे कोई समाधान है। व्यक्ति को भविष्य की हकीकत के सामने को हमेशा तैयार रहना चाहिए। यह कुछ भी हो सकती है। इसे लेकर जो डर गया या शंकित रहा, वह कभी खुश नहीं रह सकता। यही जीवन की सच्चाई है।
भविष्य को लेकर लोग इतने शंकित होते हैं कि इसे जानने के लिए ज्योतिष व ओझाओं का सहारा लेते हैं। ज्योतिष को अपना ही भविष्य नहीं पता होता, तो वह दूसरे का क्या बताएगा। हां व्यक्ति के वर्तमान व भूतकाल के संदर्भ में कुछ बातें जरूर वह ऐसी कहता है, जो अमूमन सभी के जीवन में फिट बैठती हैं। ऐसे में व्यक्ति का विश्वास ऐसे ज्योतिष पर बनता है और ज्योतिष की दुकान का बिजनेस भी बढ़ता जाता है। किसी ज्योतिष के पास जाओगे तो वह यही कहेगा कि आप दिल के अच्छे हो, किसी का बुरा नहीं करते, जिसका भी भला किया, उसने आपका बुरा ही सोचा। एक बार आप बीमारी या दुर्घटना से मरते-मरते बचे। आपका कोई अपना ही है, जो बुरा कर रहा है। उससे सतर्क रहना। इस तरह की बातें ज्योतिष या बाबाओं के मुंह से सुनकर हर कोई यह समझने लगता है कि यह तो मेरे बारे में काफी जानता है। क्योंकि व्यक्ति एक बार नहीं, बल्कि कई बार बीमार होता है। कई बार वह दुर्घटना से बचता है। कितना भी बुरा इंसान हो, कभी न कभी वह भी अच्छे कर्म करता है। ऐसे में इन बाबाओं की चल पड़ती है।
वर्ष 97 की बात है। तब मेरी शादी हो चुकी थी। मैं दीपावली के मौके पर अपने घर देहरादून आया था। मेरा एक मित्र ज्योतिषों पर काफी विश्वास करता था। उसने बताया कि एक पहुंचे ज्योतिष किसी के घर आए हैं। कुछ खास लोगों के हाथ व जन्मपत्री देख रहे हैं। मेरे साथ तू भी चल। मैने उसे ऐसी फिजूल की बातों से दूर रहने की सलाह दी, लेकिन वह नहीं माना। मुझे कहने कहा  कि जब तू भी ज्योतिष से मिलेगा तो अपनेआप उस पर विश्वास होने लगेगा। मैं मित्र के साथ उस घर में चला गया जहां ज्योतिष ने अपने चेलों के साथ डेरा जमाया हुआ था। दो कमरों में बाहर वाले कक्ष में ज्योतिष के चेले बैठे थे। यानी इस दुकान में आने वाले हर ग्राहक की टोह पहले चेले ले रहे थे। पहले वही हाथ व जन्मपत्री देख रहे थे। लोगों से घुलमिलकर बातें कर रहे थे। यानी व्यक्ति की पूरी जीवनी बांच रहे थे। मेरे मित्र ने सलाह दी की तू भी अपने बारे में पूछ। मैं क्या पूछता मुझे तो कोई समस्या ही नजर नहीं आ रही थी। मैने अपना हाथ एक चेले को दिखाया। वह बोला क्या समस्या है। मैने कहा कोई नहीं। फिर उसने कहा कि शादी हो गई। मैने हां में जवाब दिया। इस पर वह बोला तेरी पत्नी काफी तेज है। उससे सतर्क रहना। मैने कहा कि मेरा विवाह हुए पांच माह से अधिक समय बीत गया है। अभी तक कोई विवाद नहीं हुआ, फिर उस पर शंका क्यों करूं। वह बोला अभी नहीं हुआ तो हो जाएगा। मेरा मन वहीं खट्टा हो गया। फिर ज्योतिष के पास दूसरे कमरे में जाना था। जहां वह अकेले में एक-एक कर भक्तों का हाथ देख रहा था। मैं भीतर नहीं गया और अपने घर को लौट गया। मुझे चेले की बात अजीब लगी और न ही मैने उस पर विश्वास किया। यदि विश्वास करता तो उसकी बात सच साबित हो जाती और पत्नी से विवाद जरूर होने लगता।
इस बात के करीब दस माह हो चुके थे। तब मेरा तबादला सहारनपुर से देहरादून हो गया। मैं एक समाचार पत्र में कार्यरत था। एक दिन मेरे नाम एक ऐसे ही ज्योतिष की पत्रकार वार्ता लगी। ज्योतिष टच थैरेपी से भविष्य बांचने का दावा कर रहा था। उसने बताया कि किसी व्यक्ति को छूकर वह उसका भूत, वर्तमान व भविष्य सभी बता सकता है। मैने कहा महाराज मेरा भी कल्याण कर दो। उसने कहा कि समस्या क्या है। मैने कहा कि मेरी शादी नहीं हो रही है। जहां भी रिश्ता होता है मैं अपने बारे में सच-सच बता देता हूं। ऐसे में रिश्ता टूट जाता है। इस पर ज्योतिष ने मेरी हथेली पकड़ी। फिर अपने हाथ से दबाव देना शुरू किया। वह कांप रहा था। उसने मेरा नाम पूछा। मैने बता किया। इस पर वह बोला कि भानु तेरी शादी अक्टूबर में हर हाल में होगी। तू भी मुझे याद रखेगा। मैं मंन-ही-मंन मुस्करा रहा था, पर बोला कुछ नहीं। पत्रकार वार्ता निपटने के बाद ज्योतिष के चेले ने मुझसे कहा कि आप अक्टूबर को दावत में बुलाओगे। तब मैने जवाब दिया कि यदि आप यूं ही मिलते रहे और संभव हुआ तो दो अक्टूबर को जरूर बुलाउंगा। चेले ने पूछा उस दिन क्या विवाह की तारीख निकली है। मैने कहा कि विवाह की तो नहीं, पर मेरे बेटे का उस दिन जन्मदिन है। ..........
भानु बंगवाल            

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