हर वक्त एक तकियाकलाम लोगों का यही रहता है कि जमाना बदल रहा है। चाहे चालिस साल पहले की बात रही हो या फिर चार सौ साल पहले की। तब भी शायद लोगों के मुंह में यही बात रही होगी कि जमाना बदल रहा है। जमाना तो बदलेगा ही। यही प्रकृति का नियम है। कोई भी चीज एक तरह से नहीं रहती। उसमें परिवर्तन तो आता ही रहता है। फिर भी सौ साल में जिस तेजी से विकास हुआ यह शायद पहले नहीं हुआ हो। जहाज बने, कार-मोटर का जमाना आया। गांव शहरों में तब्दील हो गए। 80 के दशक में कंप्यूटर आए। पहले इसका विरोध हुआ, लेकिन अब यह व्यक्ति की जरूरत बन गया। संचार क्रांति ने तो एक नए युग का सूत्रपात किया। चुनाव आए तो नेताजी भी हाईटेक हो गए। लोगों को रिझाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल भरपूर करने लगे। वहीं प्रेम की पींगे बढ़ाने के लिए भी यह माध्यम सबसे सुलभ नजर आने लगा। चिट्टी लिखकर किसी लड़की को देना अब गुजरे जमाने की बात हो गई। इसमें भी यह रिस्क रहता था कि कहीं लड़की के बजाय उसके भाई या पिता के हाथ पड गई तो शायद बबाल ही मच जाए। अब तो मोबाईल या फिर फेसबुक का सहारा लेकर बातचीत की शुरूआत होने लगी। कई ऐसे उदाहरण हैं जिनका घर फेसबुक के माध्यम से ही बसा। यहीं से पहले चेट हुई, फिर यह चेट प्रेम में बदली और फिर कहानी शादी तक पहुंची।
अब देखो भीख भी हाईटेक तरीके से मांगी जा रही है। मैसेज के जरिये अपना दुखड़ा सुनाकर मदद मांगने वालों की कमी नहीं है। ऐसे लोग कहीं न कहीं किसी न किसी को मुर्गा बनाने में कामयाब भी हो जाते हैं। इसी तरह ठगी करने वाले भी हाईटेक तरीके इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे लोग छोटा लालच देते हैं। जो लालच में फंसा वह गया काम से।
मुझे मोबाइल में फोन आया और फोन करने वाले ने खुद को भारत संचार निगम का एसडीओ बताया। उसने पूछा कि मेरा फोन का बिल कितने का आता है। मैने जब उसे बताया कि हर माह करीब एक हजार रुपये का बिल आता है तो वह बोला कि आज से निगम ने एक स्कीम लांच की है। यदि तुम तीन हजार रुपये आज ही जमा करा दोगे तो पूरे साल भर तक कोई बिल नहीं आएगा। साल में पूरे नौ हजार का फायदा । सिर्फ एक बार पैसे जमा कराने में। मैं भी छोटे लालच के फेर में फंसने लगा। फिर मुझे ध्यान आया कि कहीं यह ठग तो नहीं। मैने उसका नाम पूछा। साथ ही कुछ बीएसएनएल के कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम भी। मेरी बात का वह सही जवाब देता रहा। मैने कहा कि मैं बीएसएनएल के कार्यालय में जाकर पैसे जमा करा दूंगा। इस पर वह बोला कि पैसे पीसीओ के माध्यम से ही रिचार्ज होंगे।
मुझे ध्यान आया कि बीएसएनएल में जब भी पोस्टपेड कनेक्शन पर मैं कोई भी नेट का प्लान बदलता हूं तो उसके लिए निगम के कार्यालय में जाकर फार्म भरना पड़ता है। साथ ही भुगतान किए गए पिछले बिल की प्रतिलिपी भी जमा करनी पड़ती है। उस व्यक्तिने कहा कि अभी किसी बच्चे को पीसीओ में पैसे लेकर भेज दो। वहां से मेरी बात कराओ, मैं बताऊंगा कि पैसे कैसे रिचार्ज करने हैं। उसने बच्चा शब्द शायद इसलिए कहा हो कि पीसीओ में पहुंचने के बाद बच्चे को आसानी से बेवकूफ बना देगा। पहले रिचार्ज का ऐसा तरीका बताएगा जिससे, पैसे मेरे एकाउंट में नहीं जाएंगे। फिर अपना कोई नंबर बताकर वहां पैसे ट्रांसफर कर देगा।
मैने कहा कि मैं खुद पीसीओ जा रहा हूं, वहीं से बात करूंगा। फोन काटकर मैने बीएसएनएल के एक परिचित कर्मचारी को फोन मिलाया। तो पता चला कि ऐसी कोई स्कीम नहीं है। उसी कर्मचारी से मुझे पता चला कि जो नाम फोन करने वाले ने अपना बताया वह मसूरी में तैनात एक एसडीओ का है। मैने मसूरी के एसडीओ का नंबर लिया और उन्हें फोन किया। एसडीओ की आवाज अलग थी। उनसे बात करने पर पता चला कि उन्होंने मुझे फोन ही नहीं किया। जिस नंबर से मुझे फोन आया था वह बीएसएनएल का भी नहीं था। मैने दोबारा उसी महाशय को फोन मिलाया तो परिचय में उसने अपने को खुद बीएसएनएल का एसडीओ बताया, पर इस बार अपना नाम दूसरा बताया। इस ठग को मैने बताया कि आपका भांडा फूट गया है। हर बार नाम बदलकर आप किसी का उल्लू बना सकते हो, लेकिन अब यह खेल नहीं चलेगा। इस पर उसने फोन काट दिया।
मैं समझा कि वह डर गया होगा। अब उसे डर होगा कि कहीं मैने पुलिस को फोन तो नहीं कर दिया। कुछ देर बाद उसे दोबारा फोन मिलाया तो व्यस्त मिला। फिर उसने मुझे फोन किया। जब मैने पहले वाले एसडीओ के बारे में पूछा तो वह बोला- मैं बोल रहा हूं। मैने कहा कि यह तो मसूरी एसडीओ का नाम है। उनसे मेरी बात भी हो चुकी है। अब भी आप खुद के लिए उनका नाम ले रहे हो। इस पर वह धमकाते हुए बोला कि आइंदा मुझे फोन मत करना। इसके बाद महाशय ने फोन काट दिया। अब जब भी मैं उस नंबर यानी-7408112771 को मिलाता हूं तो वह बीजी रहता है। यानी महाशय किसी दूसरे शिकार की तलाश में व्यस्त हैं। क्योंकि इस बड़ी दुनिया में उसे ऐसे कई मिल जाएंगे, जो आसानी से जाल में फंस जाएंगे।
भानु बंगवाल
अब देखो भीख भी हाईटेक तरीके से मांगी जा रही है। मैसेज के जरिये अपना दुखड़ा सुनाकर मदद मांगने वालों की कमी नहीं है। ऐसे लोग कहीं न कहीं किसी न किसी को मुर्गा बनाने में कामयाब भी हो जाते हैं। इसी तरह ठगी करने वाले भी हाईटेक तरीके इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे लोग छोटा लालच देते हैं। जो लालच में फंसा वह गया काम से।
मुझे मोबाइल में फोन आया और फोन करने वाले ने खुद को भारत संचार निगम का एसडीओ बताया। उसने पूछा कि मेरा फोन का बिल कितने का आता है। मैने जब उसे बताया कि हर माह करीब एक हजार रुपये का बिल आता है तो वह बोला कि आज से निगम ने एक स्कीम लांच की है। यदि तुम तीन हजार रुपये आज ही जमा करा दोगे तो पूरे साल भर तक कोई बिल नहीं आएगा। साल में पूरे नौ हजार का फायदा । सिर्फ एक बार पैसे जमा कराने में। मैं भी छोटे लालच के फेर में फंसने लगा। फिर मुझे ध्यान आया कि कहीं यह ठग तो नहीं। मैने उसका नाम पूछा। साथ ही कुछ बीएसएनएल के कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम भी। मेरी बात का वह सही जवाब देता रहा। मैने कहा कि मैं बीएसएनएल के कार्यालय में जाकर पैसे जमा करा दूंगा। इस पर वह बोला कि पैसे पीसीओ के माध्यम से ही रिचार्ज होंगे।
मुझे ध्यान आया कि बीएसएनएल में जब भी पोस्टपेड कनेक्शन पर मैं कोई भी नेट का प्लान बदलता हूं तो उसके लिए निगम के कार्यालय में जाकर फार्म भरना पड़ता है। साथ ही भुगतान किए गए पिछले बिल की प्रतिलिपी भी जमा करनी पड़ती है। उस व्यक्तिने कहा कि अभी किसी बच्चे को पीसीओ में पैसे लेकर भेज दो। वहां से मेरी बात कराओ, मैं बताऊंगा कि पैसे कैसे रिचार्ज करने हैं। उसने बच्चा शब्द शायद इसलिए कहा हो कि पीसीओ में पहुंचने के बाद बच्चे को आसानी से बेवकूफ बना देगा। पहले रिचार्ज का ऐसा तरीका बताएगा जिससे, पैसे मेरे एकाउंट में नहीं जाएंगे। फिर अपना कोई नंबर बताकर वहां पैसे ट्रांसफर कर देगा।
मैने कहा कि मैं खुद पीसीओ जा रहा हूं, वहीं से बात करूंगा। फोन काटकर मैने बीएसएनएल के एक परिचित कर्मचारी को फोन मिलाया। तो पता चला कि ऐसी कोई स्कीम नहीं है। उसी कर्मचारी से मुझे पता चला कि जो नाम फोन करने वाले ने अपना बताया वह मसूरी में तैनात एक एसडीओ का है। मैने मसूरी के एसडीओ का नंबर लिया और उन्हें फोन किया। एसडीओ की आवाज अलग थी। उनसे बात करने पर पता चला कि उन्होंने मुझे फोन ही नहीं किया। जिस नंबर से मुझे फोन आया था वह बीएसएनएल का भी नहीं था। मैने दोबारा उसी महाशय को फोन मिलाया तो परिचय में उसने अपने को खुद बीएसएनएल का एसडीओ बताया, पर इस बार अपना नाम दूसरा बताया। इस ठग को मैने बताया कि आपका भांडा फूट गया है। हर बार नाम बदलकर आप किसी का उल्लू बना सकते हो, लेकिन अब यह खेल नहीं चलेगा। इस पर उसने फोन काट दिया।
मैं समझा कि वह डर गया होगा। अब उसे डर होगा कि कहीं मैने पुलिस को फोन तो नहीं कर दिया। कुछ देर बाद उसे दोबारा फोन मिलाया तो व्यस्त मिला। फिर उसने मुझे फोन किया। जब मैने पहले वाले एसडीओ के बारे में पूछा तो वह बोला- मैं बोल रहा हूं। मैने कहा कि यह तो मसूरी एसडीओ का नाम है। उनसे मेरी बात भी हो चुकी है। अब भी आप खुद के लिए उनका नाम ले रहे हो। इस पर वह धमकाते हुए बोला कि आइंदा मुझे फोन मत करना। इसके बाद महाशय ने फोन काट दिया। अब जब भी मैं उस नंबर यानी-7408112771 को मिलाता हूं तो वह बीजी रहता है। यानी महाशय किसी दूसरे शिकार की तलाश में व्यस्त हैं। क्योंकि इस बड़ी दुनिया में उसे ऐसे कई मिल जाएंगे, जो आसानी से जाल में फंस जाएंगे।
भानु बंगवाल
aapka phone no. usne refusal par laga diya hoga .. isliye busy batata hai
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