Tuesday, 3 April 2012

शहद का बंटवारा

छोटी उम्र की शैतानियां हमेशा याद रहती हैं। कई बार तो बच्चे ऐसी शैतानी करते हैं, जिसमें जान तक का जोखिम रहता है, लेकिन तब शैतानी पर मजा आता है। अक्सर गरमियों में छुट्टी पड़ने पर मैं बच्चों के साथ बगीचे में आम व लीची तोड़ने पहुंच जाता था। तब बगीचे का रखवाला हमारे पीछे पड़ता और हम फुर्ती से भागकर खुद को उसकी पकड़ से दूर करते। कई बार तो हम रखवाले को देखकर पेड़ से ही छलांग लगा देते थे। न चोट लगने का डर और न ही किसी अनहोनी का ही डर रहता था। ऐसी शैतानियों में ही हमें मोजमस्ती नजर आती थी।
शैतानी में मेरा बड़ा भाई मुझसे कुछ ज्यादा ही था। ऐसे में कई बार उसकी शिकायत भी घर तक पहुंच जाया करती थी। एक बार वह अपने दोस्तों के साथ जंगल में शहद निकालने गया। जंगल में छत्ता छेड़ते ही मक्खियां पीछे पड़ गई। उसके साथी तो भाग गए, लेकिन वह मक्खियों के हमले की चपेट में आ गया। उसे ढेर सारी मक्खियों ने काटा और वह जंगल में ही बेहोश हो गया। जंगल में दो पुलिस कर्मी डंडे के लिए बांस की तलाश में गए थे। वहां करीब 15 साल के युवक को देखकर उन्होंने सोचा कि किसी ने मार के फेंका हुआ है। इसी दौरान एक व्यक्ति जंगल में लकड़ी काट रहा था। उसने पुलिस कर्मियों को बताया कि यह तो पंडितजी का बेटा है। उसे कुछ लोगों की मदद से घर पहुंचाया गया। दो तीन दिन बि्स्तर में पड़े रहने के बाद वह फिर घर से गायब हो गया। माताजी को उसकी चिंता हुई। वह उसे तलाशने के लिए उसके दोस्तों के घर गई। अपने एक सिख मित्र के घर वह मिल गया। उसके घर जाकर मेरी माताजी ने जो नजारा देखा, तो वह भी घबरा गई। मित्र के घर उसकी उम्र के कुछ बच्चे आपस में शहद का बंटवारा कर रहे थे। यानि कुछ ही दिन पहले उसे शहद की मक्खियों ने काट खाया था। इसके बावजूद ठीक होने पर उसने छत्ते से दोबारा शहद निकालने की ठानी और निकाल भी लाया।
                                                                                                     भानु बंगवाल

1 comment:

  1. bache to bache hote hain. ek bar mere sath bhi aise hi hua tha. main us samay class 7 main padhta tha. hua yun ki hum kuch dost nahane ke lia gawn ke pass kee nadi main ja rahe the. nadi aur gawn ke beech main ek gupha main madhumakhiyon ka chatta tha. hum char dost nahane jaa rahe thai to raste main madhumakhion ka chatta dekha aur use phodne ke lia sabhi ne pathar marne suru kiye. main unme sabse chota tha. jyun hee pathar madhumakhion kee chatte par laga to sabhi ladke bhag gaye. lekin main ek pather ke oot main chup gaya. achanak madhumakhiyan ayi aur mere ko dank maar diya. mere sath aye doston ne mere roone chillane kee awaj suni aur unhone gawn walon ko bulaya. kisi tarah gawn wale mujhe ghar le gaya aur jahan par madhumakhiyon ne dank mar rakha tha wahan par doodh kee malai aur dahi lagai.dusri din mujhe hoos aya. iss ghatana ke ek hafte baad fir nahane gaye aur fir se usse chatte par pathar marne chale gaye.lekin iss baar kuch nahi hua.

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