वाकई नाखून कमाल की चीज है। जिसमें खून ही नहीं है, वही तो नाखून है, जो हर व्यक्ति के पास होते हैं। यही नाखून व्यक्ति के स्वभाव को भी बताते हैं। कोई इसे आकर्षक दिखने के लिए बढ़ाता है, तो कोई आलसी व्यक्ति इसे काटने में भी देरी कर देता है। वहीं, अनुभवी चिकित्सक नाखून को देखकर मरीज की स्थिति का पता लगाते हैं। नाखून के रूप में जो चीज हमें अपने शरीर में बेकार सी नजर आती है, कई बार वही नाखून बड़े काम की चीज साबित होते हैं। ऐसे मे हम कह सकते हैं कि ये नाखून बड़े काम की चीज है।
हम माह करीब एक मिलीमीटर की रफ्तार से बढ़ने वाले नाखून का महत्व तो कई महिलाओं के श्रृंगार से भी जुड़ा हुआ है। इस पर रंग लगाकर महिलाएं अंगुलियों को आकर्षक बनाने का प्रयास करती आई हैं। वहीं, कई मुसीबत व झगड़े के दौरान इसे हथियार के रूप में भी इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करते। भारतीय हस्त सामुद्रिक शास्त्र में नाखूनों को भी महत्व दिया गया है। नाखूनो को देख व्यक्ति के स्वभाव, आचरण व पेशे का आसानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। मेरे एक चिकित्सक मित्र डॉ. जीसी मैठाणी तो यहां तक दावा करते रहे हैं कि नाखूनों को देख कर जहां व्यक्ति की विभिन्न बीमारियों का पता लगाया जा सकता है, वहीं मुर्दे की अंगुलियों के नाखून देखकर मौत के कारणों का भी पता चल सकता है।
देखने में यह आया है कि स्वभाव से नाजुक व्यक्ति के नाखून नाजुक और सख्त व्यक्ति के नाखून सख्त होते हैं। आदिकाल में व्यक्ति नाखून का इस्तेमाल हथियार के रूप में करता था, जो आज भी कई बार करता है। नाखूनों के नीचे का आधार (नेल बेड) पर रक्त कोशिकाओं का अधिक संचार होने से नाखून का रंग सुर्ख लाल या गुलाबी होता है। इसे देखकर ही व्यक्ति के भीतर रक्त की मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता है। नेल बेड के सफेद होने पर रक्त की अल्पता व सुर्ख लाल होने से रक्त की अधिकता का पता चलता है। दांतों से नाखून कुतरने वाले व्यक्तियों के नाखून सही तरीके से कटे नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति के नाखूनों की किनारी छितरी होती है। ऐसे व्यक्ति ज्यादा सोचने वाले होते हैं, जो अक्सर तनाव में रहते हैं। तनाव की स्थिति में आते ही वे नाखून कुतरने लगते हैं। मौत के कई साल बाद भी नाखून देखर मृत्यु का कारण जाना जा सकता है। आरसेनिक जहर (सांख्य) से व्यक्ति की मौत होने पर उसके नाखून के नीचे का रंग काला पड़ जाता है। नाखून की जड़ के पास सफेद रंग के चंद्राकार निशान को चांद या मून कहते हैं। इसे देखकर हृदय संबंधी रोग का पता लगाया जा सकता है। यदि चांद अधिक बड़ा होगा तो व्यक्ति श्वास या हृदय रोग से ग्रसित हो सकता है। काले या नीले नाखून वाले व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसे व्यक्ति के भीतर ऑक्सीजन की कमी होती है। पुराने श्वास रोगी के नाखून गोलाई में घुमकर ढोल का आकार लेते हैं। आगे से तोते की चोंच की तरह नाखूनों का मुड़ना पुराने हृदय रोगियों में अक्सर पाया जाता है। दाद जैसे सफेद निशान, काले धब्बों वाले नाखून वाले व्यक्ति भी कई रोगों से ग्रसित होते हैं। नाखूनों की परत निकलने की स्थिति में खून के जमने व रक्त संबंधी रोगों की आशंका रहती है। फंगस इंफेक्शन के चलते व्यक्ति के नाखून में लाल चकतों जैसे रंग होते हैं। साथ ही नाखून उखड़ने लगते हैं। विटामिन की कमी व कुपोषण का शिकार होने की स्थिति में भी नाखून के छिलके उतरने लगते हैं।
छोटे नाखून कठोर स्वभाव के व्यक्ति के होते हैं। चौड़े व वर्गाकार नाखून व्यावहारिक प्रकृति के व्यक्तियों में पाए जाते हैं। लंबे व संकरे नाखून कलाकार, दार्शनिक व्यक्तित्व की पहचान कराते हैं। किसी व्यक्ति का व्यवसाय का अंदाजा भी उसके नाखून को देखकर लगाया जा सकता है। पेंटर, कलाकार के नाखून की जड़ पर कहीं न कहीं रंग लगा हो सकता है। मोटर मैकेनिक के नाखून ग्रीस से काले नजर आते हैं। आलसी व्यक्ति नाखून को समय से काटने से परहेज करते हैं।
भानु बंगवाल
हम माह करीब एक मिलीमीटर की रफ्तार से बढ़ने वाले नाखून का महत्व तो कई महिलाओं के श्रृंगार से भी जुड़ा हुआ है। इस पर रंग लगाकर महिलाएं अंगुलियों को आकर्षक बनाने का प्रयास करती आई हैं। वहीं, कई मुसीबत व झगड़े के दौरान इसे हथियार के रूप में भी इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करते। भारतीय हस्त सामुद्रिक शास्त्र में नाखूनों को भी महत्व दिया गया है। नाखूनो को देख व्यक्ति के स्वभाव, आचरण व पेशे का आसानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। मेरे एक चिकित्सक मित्र डॉ. जीसी मैठाणी तो यहां तक दावा करते रहे हैं कि नाखूनों को देख कर जहां व्यक्ति की विभिन्न बीमारियों का पता लगाया जा सकता है, वहीं मुर्दे की अंगुलियों के नाखून देखकर मौत के कारणों का भी पता चल सकता है।
देखने में यह आया है कि स्वभाव से नाजुक व्यक्ति के नाखून नाजुक और सख्त व्यक्ति के नाखून सख्त होते हैं। आदिकाल में व्यक्ति नाखून का इस्तेमाल हथियार के रूप में करता था, जो आज भी कई बार करता है। नाखूनों के नीचे का आधार (नेल बेड) पर रक्त कोशिकाओं का अधिक संचार होने से नाखून का रंग सुर्ख लाल या गुलाबी होता है। इसे देखकर ही व्यक्ति के भीतर रक्त की मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता है। नेल बेड के सफेद होने पर रक्त की अल्पता व सुर्ख लाल होने से रक्त की अधिकता का पता चलता है। दांतों से नाखून कुतरने वाले व्यक्तियों के नाखून सही तरीके से कटे नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति के नाखूनों की किनारी छितरी होती है। ऐसे व्यक्ति ज्यादा सोचने वाले होते हैं, जो अक्सर तनाव में रहते हैं। तनाव की स्थिति में आते ही वे नाखून कुतरने लगते हैं। मौत के कई साल बाद भी नाखून देखर मृत्यु का कारण जाना जा सकता है। आरसेनिक जहर (सांख्य) से व्यक्ति की मौत होने पर उसके नाखून के नीचे का रंग काला पड़ जाता है। नाखून की जड़ के पास सफेद रंग के चंद्राकार निशान को चांद या मून कहते हैं। इसे देखकर हृदय संबंधी रोग का पता लगाया जा सकता है। यदि चांद अधिक बड़ा होगा तो व्यक्ति श्वास या हृदय रोग से ग्रसित हो सकता है। काले या नीले नाखून वाले व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसे व्यक्ति के भीतर ऑक्सीजन की कमी होती है। पुराने श्वास रोगी के नाखून गोलाई में घुमकर ढोल का आकार लेते हैं। आगे से तोते की चोंच की तरह नाखूनों का मुड़ना पुराने हृदय रोगियों में अक्सर पाया जाता है। दाद जैसे सफेद निशान, काले धब्बों वाले नाखून वाले व्यक्ति भी कई रोगों से ग्रसित होते हैं। नाखूनों की परत निकलने की स्थिति में खून के जमने व रक्त संबंधी रोगों की आशंका रहती है। फंगस इंफेक्शन के चलते व्यक्ति के नाखून में लाल चकतों जैसे रंग होते हैं। साथ ही नाखून उखड़ने लगते हैं। विटामिन की कमी व कुपोषण का शिकार होने की स्थिति में भी नाखून के छिलके उतरने लगते हैं।
छोटे नाखून कठोर स्वभाव के व्यक्ति के होते हैं। चौड़े व वर्गाकार नाखून व्यावहारिक प्रकृति के व्यक्तियों में पाए जाते हैं। लंबे व संकरे नाखून कलाकार, दार्शनिक व्यक्तित्व की पहचान कराते हैं। किसी व्यक्ति का व्यवसाय का अंदाजा भी उसके नाखून को देखकर लगाया जा सकता है। पेंटर, कलाकार के नाखून की जड़ पर कहीं न कहीं रंग लगा हो सकता है। मोटर मैकेनिक के नाखून ग्रीस से काले नजर आते हैं। आलसी व्यक्ति नाखून को समय से काटने से परहेज करते हैं।
भानु बंगवाल
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