Friday, 2 March 2012

नाम पर क्या रखा है.....

नाम कुछ और काम कुछ। कई बार तो ऐसे लोग होते हैं जो नाम के विपरीत काम करते हैं। वहीं, कई ऐसे होते हैं जो नाम के अनुरूप स्वभाव वाले होते हैं। माता पिता कुछ सोच समझकर औलाद का नाम रखते हैं और बाद में कई बार बच्चों को अपना नाम ही अच्छा नहीं लगता। ऐसे में वे अपना नाम तक बदल डालते हैं।
नाम बदलने पर भी कई खुश नहीं हो पाते। इस पर कई कहानियां भी हैं। जैसे छेदी लाल अपने नाम से परेशान हो उठा और नाम बदलने का उसने इरादा कर लिया। हिंदू धर्म में पंडित जी ने कहा कि नामकरण संस्कार एक बार होता है। ऐसे में वह नाम नहीं बदल सकते। नाम तो बदलना ही था। भले ही धर्म परिवर्तन क्यों न करना पड़े। इस पर छेदीलाल मुसलमान बन गया और मौलवी ने उसका नाम सुराख अली रख दिया। इस पर भी लोगों ने उसे चिढ़ाया। इस पर वह फिर नाम बदलने मौलवी के पास गया। मौलवी ने कहा कि अब वह दूसरा धर्म अपनाकर ही नाम बदल सकता है। ऐसे में वह ईसाई बन गया। पादरी ने उसका नाम मिस्टर होल रख दिया। छेदी लाल को लोगों ने फिर चिढ़ाया कि नाम बदलने से भी उससे पिछला नाम ही लिपट रहा है। ऐसे में वह दोबारा पंडितजी  के पास गया और बोला अब तो हिंदू बनाकर मेरा नाम बदल दो, लेकिन छेदीलाल मत रखना। पंडितजी ने फिर संस्कार किए और उसका नाम छलनी प्रसाद रख दिया।
ये तो है कहानी, लेकिन कई बार नाम के कारण अजीबोगरीब बात हो जाती है। बात है उत्तराखंड आंदोलन की। तब सड़कों पर आंदोलनकारी निकलते थे। पत्रकार भी उनके पीछे- पीछे दौड़ते थे। अक्सर बंद का आह्वान होने पर देहरादून में महिलाएं ही बंद की कमान संभालती थी। एक करीब सत्तर वर्षीय महिला को मैं काफी पहले से जानता था। वह हाथीबड़कला क्षेत्र में मुझे आंदोलनकारी महिलाओं के साथ दिखती थी। उसे मैं राणा आंटी के रूप में जानता था। नाम मुझे भी नहीं पता था। हर बार आंदोलन से संबंधित समाचारों में राणा आंटी का नाम समाचार पत्र में छपने से छूट जाता था। वह मुझसे खफा भी रहती थी। एक दिन मैने उनसे पूछा आंटी अपना नाम बताओ, मैं आज जरूर अखबार में लिखूंगा। उन्होंने बताया श्रीमती राणा। मैने आंटी से कहा कि समाचार पत्रों में सर नेम नहीं चलता। अपना पूरा नाम बताओ- इस पर उन्होंने फिर वही दोहराया श्रीमती राणा। मैने कहा कि आंटी पूरा नाम बताओ- जैसे कमला राणा, बिमला राणा, या आपका जो नाम हो वह। इस पर वह मुझसे झुंझला गई। और बोली भानु मेरा नाम ही श्रीमती है, तो फिर कहां से और कुछ जोड़ूं। लिखना है तो लिख- श्रीमती राणा।

                                                                                                      भानु बंगवाल

2 comments:

  1. niceeeeeeeeeeeeeeeeeeeee sir jiiiiiiiiiiiiiii

    ReplyDelete
  2. Han..kabhi - kabhi aisa ho jata hai...kuchh isi tarah se mere mitra hain teen bhai....jinme se ek ko tum bhi jaante ho Bhanu bhai...
    Shri Sunil Shri Paanthri, Shri Anup Shri Panthjri aur Shri Anil Shri Panthri...haina!......

    ReplyDelete